संपादक / कार्यकारी संपादक
समाचारपत्रों की प्रबंध व्यवस्था में पिछले कुछ दशको से मालिक संपादक की अवधारणा भी बलवती हुई है. इस व्यवस्था में मालिक का नाम समाचारपत्र के प्रमुख संपादक के रूप दिया जाता है तथा कार्यकारी या अधिशाषी संपादक के नाते कामकाज कोई वरिष्ठ पत्रकार या संपादक संभालता है.
आजकल समाचारपत्र समूहों के विभिन्न प्रदेशो से अलग अलग संस्करण प्रकाशित किये जाने की परम्परा भी चल पड़ी है. इस व्यवस्था में स्थानीय संपादक की नियुक्ति कर सम्बंधित प्रदेश के संस्करण का प्रकाशन किया जाता है. कार्यकारी संपादक या स्थानीय अथवा प्रभारी संपादक सम्बंधित समाचारपत्र में मुख्य भूमिका निभाते है.
रोजाना अपने सहायक संपादको की बैठक में अख़बार के नवीनतम संस्करण का मूल्यांकन और अगले संस्करण की रुपरेखा के बारे में संपादक विचार विमर्श करते है. इस बैठक में अन्य प्रतिस्पर्धी समाचारपत्रों से अपने पत्र की तुलना भी की जाती है, ताकि रह गए अथवा छुट गए समाचारों का फोलोअप हो सके. संपादक अपने सहयोगियों की उनकी योग्यता, अनुभव एवं विशेष रूचि के अनुरूप अलग अलग दायित्व सौपता है और सहज भाव से उनके काम का मूल्यांकन भी करता है ताकि आवश्कतानुसार भविष्य में और उतरदायित्व दिए जा सके. सम्पादकीय कार्य और निरिक्षण की इस प्रकिया में संपादक को भी विभीन्न विषयों के गहन अध्ययन तथा नवीनतम जानकारी से अवगत रहना चाहिए तभी वह अपनी टीम का सुयोग्य नेतृत्व कर पता है तथा अखबार की प्रतिष्ठा को बढाने में सफलता हासिल करता है.
समाचारपत्रों की प्रबंध व्यवस्था में पिछले कुछ दशको से मालिक संपादक की अवधारणा भी बलवती हुई है. इस व्यवस्था में मालिक का नाम समाचारपत्र के प्रमुख संपादक के रूप दिया जाता है तथा कार्यकारी या अधिशाषी संपादक के नाते कामकाज कोई वरिष्ठ पत्रकार या संपादक संभालता है.
आजकल समाचारपत्र समूहों के विभिन्न प्रदेशो से अलग अलग संस्करण प्रकाशित किये जाने की परम्परा भी चल पड़ी है. इस व्यवस्था में स्थानीय संपादक की नियुक्ति कर सम्बंधित प्रदेश के संस्करण का प्रकाशन किया जाता है. कार्यकारी संपादक या स्थानीय अथवा प्रभारी संपादक सम्बंधित समाचारपत्र में मुख्य भूमिका निभाते है.
रोजाना अपने सहायक संपादको की बैठक में अख़बार के नवीनतम संस्करण का मूल्यांकन और अगले संस्करण की रुपरेखा के बारे में संपादक विचार विमर्श करते है. इस बैठक में अन्य प्रतिस्पर्धी समाचारपत्रों से अपने पत्र की तुलना भी की जाती है, ताकि रह गए अथवा छुट गए समाचारों का फोलोअप हो सके. संपादक अपने सहयोगियों की उनकी योग्यता, अनुभव एवं विशेष रूचि के अनुरूप अलग अलग दायित्व सौपता है और सहज भाव से उनके काम का मूल्यांकन भी करता है ताकि आवश्कतानुसार भविष्य में और उतरदायित्व दिए जा सके. सम्पादकीय कार्य और निरिक्षण की इस प्रकिया में संपादक को भी विभीन्न विषयों के गहन अध्ययन तथा नवीनतम जानकारी से अवगत रहना चाहिए तभी वह अपनी टीम का सुयोग्य नेतृत्व कर पता है तथा अखबार की प्रतिष्ठा को बढाने में सफलता हासिल करता है.
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